सोज़

















 ख़ुशी की बूंदो से भरा पत्ता
गम की टहनी से नाम क्यों हो जाता हैं?

स्पर्श के हाथों से भरी आदत
तन्हाई की महक से भूल क्यों जाती हैं?

अपनों के शब्द से भरा खत
अनजान सियाह से मिट क्यों जाता हैं?

प्यार की लहर से भरा प्याला
समुद्र के किनारे पहुंच चला क्यों जाता हैं?

दिल की नादानी से भरा रिश्ता
वक़्त के दायरे से रिहा क्यों हो जाता हैं?

विश्वास की पुकार से भरी आवाज़
शक के झोकों से दब क्यों जाती हैं?

साज़ की कशिश से भरी ज़िन्दगी
सोज़ की कसक से मात क्यों जाती हैं?

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